Yudhra Movie Review |
युद्ध्रा, जो एक्सेल एंटरटेनमेंट की नई पेशकश है, दर्शकों के समक्ष बड़े उम्मीदों के साथ आई थी। हालांकि, यह फिल्म केवल शानदार एक्शन सीक्वेंस के लिए याद की जाएगी, न कि अपनी कहानी या भावनात्मक जुड़ाव के लिए। डायरेक्टर रवि उड्यवार और लेखक श्रीधर राघवन जैसे अनुभवी कलाकारों के होते हुए भी, फिल्म की लेखनी और अभिनय उस स्तर पर नहीं पहुंच पाती है, जहां उन्हें होना चाहिए था।
Table of contents
• कहानी की कमजोरी:
• लेखनी में कमी:
• शानदार एक्शन:
• अभिनय की कमी:
कहानी की कमजोरी:
युद्ध्रा (सिद्धांत चतुर्वेदी) का किरदार एक क्रोधित व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो अक्सर उत्तेजना में गलत निर्णय लेता है। लेकिन फिल्म के पहले भाग के बाद यह पहलू गायब हो जाता है, और युद्ध्रा एक शांत और योजनाबद्ध व्यक्ति के रूप में नजर आने लगता है। कहानी में तार्किकता का अभाव बार-बार देखने को मिलता है। उदाहरण के लिए, नायक एक लड़की को खतरनाक स्थिति से बचाने के लिए पुर्तगाल क्यों जाता है, और फिर उसे अकेले यात्रा करने की अनुमति क्यों देता है?
लेखनी में कमी:
फिल्म की लेखनी कई स्थानों पर कमजोर नजर आती है। पात्रों के बीच का संबंध अधूरा सा प्रतीत होता है। कुछ संवादों को छोड़कर, कहानी में भावनात्मक गहराई की कमी है। उदाहरण के लिए, नायक के पिता के जन्मदिन पर एक भावनात्मक संवाद प्रस्तुत किया गया है, लेकिन वह दृश्य असर छोड़ने में असफल रहता है।
शानदार एक्शन:
हालांकि फिल्म की कहानी में कुछ कमी है, लेकिन एक्शन दृश्य बेहद प्रभावशाली हैं। एक सिलाई मशीन से एक अपराधी के हाथ को सिलने और बांसुरी का उपयोग करके उसकी गला घोंटने जैसी अनूठी एक्शन तकनीकें फिल्म को विशेष बनाती हैं। इसके अलावा, फरहान अख्तर द्वारा लिखे गए संवाद और जयंती ओज़ा की सिनेमैटोग्राफी भी इसे दृश्यात्मक रूप से आकर्षक बनाती है।
अभिनय की कमी:
सिद्धांत चतुर्वेदी का अभिनय ठीक है, लेकिन उनके किरदार में जो पागलपन होना चाहिए था, वह गायब है। इस गहराई की कमी के कारण उनका किरदार केवल एक अजीब स्वभाव वाले व्यक्ति के रूप में ही उभरता है। राघव जुयाल और अन्य सह-कलाकारों के किरदार भी अधूरे और बिना किसी खास छाप के प्रतीत होते हैं।
युद्ध्रा एक ऐसी फिल्म है जो बड़ी उम्मीदों के साथ आई थी, लेकिन कहानी और अभिनय के दृष्टिकोण से ये उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी। जबकि फिल्म में कुछ बेहतरीन एक्शन सीक्वेंस और विजुअल एलीमेंट्स हैं, इसकी कमजोर लेखन और चरित्र विकास इसे एक अधूरी और निराशाजनक फिल्म बना देते हैं।
रेटिंग: 2.5/5
निर्देशक: रवि उड्यवार
मुख्य कलाकार: सिद्धांत चतुर्वेदी, राघव जुयाल, मलविका मोहनन, शिल्पा शुक्ला
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